लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 3
मेरा बाप मेरा दुश्मन। (भाग 3)
तान्या और विशाल दोनौ भागकर मुम्ब्ई पहुँच गये। तान्या का सम्पर्क अपने शहर से टूटने के कारण उसे अपने मम्मी पापा की मौत का समाचार नहीं मिल सका।
तान्या व विशाल दौनौ ने अपने नये मोवाइल नम्वर किसी को नहीं दिये थे क्यौकि वह डर रहे थे कहीं उनके परिवार वाले पुलिस को लेकर वहाँ आगये तो बना बनाया सारा खेल बिगड़ जायेगा। वह बहुत डर रहे थे। वह नहीं चाहते थे कि कोई परेशानी आये।
विशाल के दोस्त ने उन दौनौ को एक कमरा दे दिया।
रात को एकही बैड पर सोना था।जब विशाल उसके साथ हरकत करने लगा तो तान्या बोली," नही विशाल अभी हम दौनौ की शादी नहीं हुई है और शादी से पहले यह सब जायज नही है। यह सब शादी के बाद ही जायज है। जब हमने इतने दिन इस ब्रत का निर्वाह किया है तब अब गलत कदम क्यौ उठाया जाय।।?"
विशाल बोला," अब भी कोई कमी रह गयी है अब हम अपने घर परिवार को छोड़कर आगये है अब इसमें क्या बुराई है।अबभी तुम दूर भागने की कोशिश कर रही हो। तान्या यह ठीक नहीं है।"
तान्या बोली," विशाल अब मै तन व मन से तुम्हारी ही हूँ इतनी बेसब्री अच्छी नहीं है एक दो दिन का इन्तजार करो। जब तक हम बिवाह बन्धन में नहीं बंधजाते है तब तक यह सब नाजायज है।अभी ऐसा करना नाजायज है। कल को भगवान न करे कुछ गलत होजाय तब क्या होगा?"
विशाल कुछ नाराज होता हुआ बोला," नही तानी इतनी दकियानूसी बातै करना ठीक नही है। आजकल तो बहुत से जोडे़ बिना शादी के डेट पर जाकर सम्बन्ध बनाते है। और तुम आज भी इस सब से दूर भागती नजर आ रही हो। अब पुरानी बातें भूलकर मेरी बाहौ में समा जा ओ। आओ हम दोनौ एक नयी देनियां में चलते हैं।"
तान्या उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोली," नहीं विशाल मैं उन जैसी नही हूँ। सभी की अपनी अपनी बात अलग होती है। इसमें नाराज होने की भी कोई बात नहीं थी ।तुम नाराज क्यौ हुए? तुम्है इस पर स्वयं सोच बिचार करना चाहिए।"
"नहीं मै कोई नाराज नही हूँ। जैसा तुम कहोगी बैसा ही होगा। " विशाल ने जबाब दिया।
" देखो विशाल अब नार्मल होकर सोजाओ और कल अपने दोस्त से कहकर किसी पन्डित से बात करलो और किसी मन्दिर में जाकर हम शादी करलेते है।", तान्या ने उसको सलाह दी।
विशाल तान्या को गुड नाईट बोलकर सोने की कोशिश करने लगा।
आज दौनौ ही अपने उन माता पिता को धोका देकर आये थे जिन्हौने उनको हर परिस्थित में पाला और कुछ करने के काबिल बनाया था। आज वह उनके सारे अरमानौ की होली जलाकर कहाँ आगयी।
विशाल व तान्या की आँखौ से नींद बहुत दूर थी। दौनौ ही अपने माता पिता व परिवार के बिषय में सोच रहे थे। तान्या तो अपने माता पिता की इकलौती सन्तान थी।
आज तान्या बहुत दुःखी होरही थी वह सोच रही थी कि उसने बहुत बुरा किया है वह अपने आप को माँफ नही कर सकेगी। उसके मन में बार बार अपने माता पिता की तस्वीर आ रही थी। कितने अरमानौ से पाला था।
एक बार उसके मन में आरहा था कि वह वापिस जाकर उनसे माँफी माँगले।वह उसे माँफ करदेंगै। माँ बाप अपनी औलाद के सभी अपराध माँफ कर देते है। उनका दिल बहुत विशाल होता है।
इसी तरह विशाल के मन में भी अनेक प्रकार के।विचारौ का मन्थन चल रहा था ।
सुबह होते ही तान्या जाग कर रसोई में गयी और सबके लिए चाय बनादी ।
आज विशाल के दोस्तौ को जब बैड पर ही चाय मिल गयी सभी बहुत खुश थे। सबने एकसाथ बैठकर चाय पी। उसी समय विशाल ने उन सब से पूछा कि क्या आप किसी पन्डित को जानते है।
उनमें से एक दोस्त ने बताया कि यहाँ से कुछ दूरी पर ही एक मन्दिर है ।वहाँ के पन्डित जी से बात कर लेंगै। वह पैसे के लालच में सब काम करवादेगा।
वह मन्दिर सुबह ही खुलजाता था। विशाल ने उनमें से एक दोस्त के साथ जाकर पन्डितजी से बात की तब पन्डितजी कुछ आनाकानी करने लगे और बोले इस समय शादी की कोई लग्न नही है बिना लग्न के शादी कैसे हो सकती है।
तब विशाल के साथ गया हुआ दोस्त बोला," पन्डित जी आप लग्न की चिन्ता क्यौ कर रहे हो जब यजमान तैयार है तब आप अपना काम करो और अपनी दक्षिणा लो और अपने घर जाओ। बाद में जो होगा वह यजमान सोचेगा। "
पन्डितजी बोले," नहीं ऐसा कैसे हो सकता है। सब पन्डित का दोष बतायेगे। मै ऐसा काम नही कर सकता हूँ।"
विशाल का दोस्त बोला " पन्डितजी यह काम आप नहीं करोगे तो को और करेगा पैसे से क्या नहीं होता। ?"
अब पन्डितजी के मन में लालच आगया और वह बोले मै रात को दस बजे के बाद कर दूँगा लेकिन दक्षिणा डबल लूँगा।
पन्डितजी से दक्षिणा की बात तय होगयी और अगले दिन रात को दस बजे का समय तय कर लिया गया। पूजा की सभी सामिग्री लाने की जिम्मेदारी पन्डित जी को ही सौप दी। दूसरे दिन रात को तान्या व विशाल अपने दोस्तौ के साथ तैयार होकर मन्दिर पहुँच गये।
पन्डितजी ने सनातन धर्म के अनुसार दौनौ का विवाह बहुत ही साधारण तरीके से करादिया। विशाल के दोस्तौ ने उनकी शादी के समय के फोटो भी लिए ।
इस तरह आज तान्या व विशाल पति पत्नी होगये दोनौ ने एक दूसरे का साथ निभाने की प्रतिज्ञा भी ली। एक दूसरे की सभी बातै मानने की कसम भी ली।
सभी दोस्तौ ने मिठाई खिलाकर उन दौनौ को बधाई दी। पन्डितजी ने नये गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने का आशीर्वाद दिया।
नोट:- कृपया आगे कहानी भाग 4 पढ़ने का कष्ट करे कहानी पढ़कर समीक्षा के दो शब्द लिखकर अनुग्रहीत अवश्य करने का कष्ट करे । धन्यवाद।
Punam verma
03-Jul-2023 07:58 AM
Very nice
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